नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा के वेटरन संवाद लेखक और कलाकार कादर ख़ान के सबसे बड़े बेटे अब्दुल कुद्दूस का कनाडा में निधन हो गया। अब्दुल कुद्दूस, कादर ख़ान की पहली शादी की संतान थे। कादर ख़ान का निधन भी 2018 में कनाडा में ही हुआ था। अब्दुल के निधन की वजह अभी सामने नहीं आयी है। कादर ख़ान के दो बेटे सरफ़राज़ ख़ान और शाह नवाज़ ख़ान हैं। सरफ़राज़ ने कई फ़िल्मों में अभिनय किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ़िल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध से दूर अब्दुल कनाडा एयरपोर्ट पर सुरक्षा अधिकारी थे।कई साल पहले एक इंटरव्यू में कादर ख़ान ने बताया था कि अब्दुल की वजह से ही फ़िल्मों में विलेन बनना बंद किया था, क्योंकि फ़िल्म के अंत में विलेन की पिटाई होती थी और इस बात को लेकर अब्दुल का क्लास के बच्चों से झगड़ा होता था। इसके बाद उन्होंने कॉमिक कैरेक्टर निभाना शुरू कर दिया था।
सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कादर ख़ान ने 1973 की फ़िल्म 'दाग़' से बतौर एक्टर करियर शुरू किया था, जिसमें राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर लीड रोल्स में थे, मगर उनका पहला बड़ा किरदार 'ख़ून पसीना' में ठाकुर ज़ालिम सिंह था। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन लीड रोल में थे। इस फ़िल्म के लेखक कादर ख़ान ही थे। हालांकि, फिल्म लेखक के रूप में उनका करियर जवानी दीवानी से शुरू हुआ था, जिसमें रणधीर कपूर और जया भादुड़ी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। कादर ख़ान ने अमिताभ की कई फ़िल्मों में एक्टिंग करने के साथ संवाद भी लिखे। अमिताभ की परवरिश, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, सत्ते पे सत्ता, नसीब, मुकद्दर का सिकंदर, हम, शहंशाह जैसी सफल फ़िल्मों के लिए संवाद लिखे थे।
कादर ख़ान के निधन पर उनके बेटे सरफ़राज़ ने कहा था कि मरते वक़्त उनके पिता के चेहरे पर मुस्कान थी। दुनिया में मुझे वो मुस्कान सबसे अधिक प्यारी है। मेरे पिता के आख़िरी साल काफ़ी दर्द भरे रहे। बीमारी ने उनकी इच्छाशक्ति तक छीन ली थी। टोरंटो में उन्हें जितना संभव हुआ, अच्छा इलाज मिला।

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